सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल
हड़प्पा (सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल)
- हड़प्पा इस सभ्यता का पहला खोजा गया स्थल है जिसकी खुदाई 1921 में दया राम साहनी के नेतृत्व में की गई थी।
- यह अपने परिपक्व चरण के दौरान विशाल दीवारों से घिरा हुआ एक प्रमुख शहरी केंद्र था।
- यह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में रावी नदी के किनारे पर स्थित है।
- रावी नदी के किनारे स्थित होने के कारण व्यापार नेटवर्क तथा पीने और खेती के लिए पानी की सुगमता थी।
- इसके कारण हड़प्पा पर लंबे समय तक कब्जा रहा। इसके अलावा, हड़प्पा पूर्व से आने वाले व्यापार मार्गों का एक मिलन बिंदु भी था।
- पुरातत्वविदों ने हड़प्पा को पांच अलग-अलग चरणों में विभाजित किया है :
- रावी पहलू / हाकरा (3300-2800BC)
- प्रारंभिक हड़प्पा (2800-2600BC)
- परिपक्व (2600-1900BC)
- परिवर्तनकाल (1900-1800BC)
- हड़प्पा बाद के चरण (1800-1300BC)
- हड़प्पा के महत्वपूर्ण भौतिक खोजों में मिट्टी के बर्तन, तांबे या कांस्य के उपकरण, टेराकोटा की मूर्तियाँ, मुहरें, बाट आदि शामिल हैं। इसके अलावा, ईंट प्लेटफार्मों के साथ अन्न भंडार की दो पंक्तियाँ, ऊंचे मंच पर एक गढ़, एक कथित कामगार क्वार्टर , भट्टियां, कांस्य गलाने के लिए क्रूसिबल आदि भी मिले हैं।
- हड़प्पा एकमात्र ऐसा स्थल है जहां ताबूत दफनाने के साक्ष्य मिलते हैं।
- तांबे की बैलगाड़ी एक और उल्लेखनीय खोज थी।
मोहन-जो दारो (सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल)
- मोहनजो-दारो (मृतकों का टीला) की खुदाई 1922 में आर.डी. बनर्जी के नेतृत्व में की गई थी।
- यह सिंधु नदी के तट पर सिंध पाकिस्तान के लरकाना जिले में स्थित है।
- मोहन-जो दारो की महत्वपूर्ण खोज
- मोहनजोदड़ो से प्राप्त अन्नागार संभवतः सिन्धु घाटी सभ्यता की सबसे बड़ी इमारत है।
- मोहनजोदड़ो से प्राप्त वृहत् स्नानागार एक प्रमुख स्मारक है (स्नानघर में जली हुई ईंटों, मोर्टार और जिप्सम का उपयोग हुआ है लेकिन पत्थर का कोई उपयोग नहीं है)।
- मोहनजो-दारो को सभ्यता के सबसे बड़े शहरी केंद्र के रूप में भी जाना जाता है।
- प्रसिद्ध कांस्य नृत्य करने वाली लड़की, कथित पशुपति की मुहर, दाढ़ी वाले पुजारी की स्टीटाइट मूर्ति, कई टेराकोटा मूर्तियां मोहनजो-दारो के अन्य उल्लेखनीय खोज हैं।
कालीबंगन (सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल)
- कालीबंगन (काली चूड़ियाँ) राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में है।
- यह अब सूख चुकी सरस्वती नदी के तट पर स्थित था। इस स्थल की खुदाई ए घोष ने की थी।
- कालीबंगन में महत्वपूर्ण खोज
- सबसे पुराना जोता गया खेत, सबसे पहले दर्ज किए गए भूकंप (जिसने शायद इस शहर को ही समाप्त कर दिया हो), अग्नि-वेदी, सांड, दो प्रकार के दफन (गोलाकार और आयताकार कब्र), ऊंटों की हड्डियां आदि के साक्ष्य मिले हैं।
- इसके अलावा, यह स्थल निम्नलिखित मामलों में हड़प्पा और मोहनजो-दारो से अलग था:
- अन्य स्थलों की ईंटें पकी हुई थीं, जबकि कालीबंगन ईंटें मिट्टी की हैं।
- कालीबंगन में जल निकासी की व्यवस्था नहीं थी।
- इनके कारण, कालीबंगन को सिंधु घाटी के अन्य महत्वपूर्ण स्थलों की तुलना में एक सुनियोजित शहर नहीं माना जाता है।
धोलावीरा (सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल)
- धोलावीरा गुजरात के कच्छ के रण में स्थित है। यह अपेक्षाकृत एक नई खोज है, जिसकी खुदाई 1990 के दशक में आर एस बिष्ट के नेतृत्व वाली एक टीम ने की थी।
- इसमें कई बड़े जलाशय थे, इन पानी की टंकियों को भरने के लिए शहर की दीवारों और घरों के ऊपर से पानी इकट्ठा करने के लिए नालियों की एक विस्तृत व्यवस्था थी।
- धोलावीरा बनाम हड़प्पा और मोहनजो दारो
- हड़प्पा, मोहनजो-दारो और धोलावीरा को सभ्यता का केन्द्रक शहर कहा जाता है।
- हड़प्पा और मोहनजो-दारो के विपरीत, जहाँ दो बस्तियाँ हैं, धोलावीरा में 3 गढ़ या प्रमुख खंड पाए गए हैं जिन्हें किलेबंदी द्वारा विधिवत संरक्षित किया गया है।
- किलेबंदी के बाहर एक खुला मैदान है।
- धोलावीरा में गढ़ का भीतरी घेरा भी पाया गया है जो हड़प्पा संस्कृति के किसी अन्य शहर में नहीं पाया गया है।
- धोलावीरा की महत्वपूर्ण खोज
- धोलावीरा के सबसे महत्वपूर्ण निष्कर्षों में से एक सिंधु लिपि के साथ एक साइनबोर्ड रहा है।
- 2021 में धोलावीरा को यूनेस्को (UNESCO) ने वैश्विक धरोहर की सूची में शामिल किया है।
लोथल (सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल)
- लोथल गुजरात के अहमदाबाद में स्थित है।
- यह एक तटीय शहर था (सिंधु घाटी सभ्यता के तीन महत्वपूर्ण तटीय शहर लोथल, सुकतागेंडोर और बालाकोट हैं)।
- शहर को छह खंडों में विभाजित किया गया था और प्रत्येक खंड को कच्ची ईंटों के एक विस्तृत मंच पर बनाया गया था।
- घरों में प्रवेश मुख्य सड़क पर था जबकि सिंधु घाटी सभ्यता के अन्य स्थलों में प्रवेश द्वार पीछे से था।
- लोथल के महत्वपूर्ण खोजों में एक कृत्रिम बंदरगाह, चावल की भूसी {चावल की भूसी केवल लोथल और रंगपुर में पाई गई है}, मनका बनाने का कारखाना आदि शामिल हैं।
- माना जाता है कि लोथल का मेसोपोटामिया के साथ सीधा समुद्री व्यापार संबंध था क्योंकि वहां से एक ईरानी मुहर मिली थी।
सुतकागेंडोर (सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल)
- सुतकागेंडोर ईरान सीमा के पास दश्त नदी के तट पर अरब सागर के तट से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित था।
- यह लोथल और बालाकोट (पाकिस्तान में) के साथ एक महत्वपूर्ण तटीय शहर था और इसे सिंधु घाटी सभ्यता की पश्चिमी सीमा माना जाता है।
- यह मूल रूप से एक बंदरगाह था और बाद में तटीय उत्थान के कारण समुद्र से कट गया था।
- सुतकागेंडोर के बेबीलोन के साथ व्यापारिक संबंध थे।
कोट दीजी (सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल)
- कोट दीजी एक पूर्व-हड़प्पा स्थल था और सिंध नदी के बाएं किनारे पर स्थित था।
- यहां पाई जाने वाली प्रमुख वस्तु टार है।
- कोट दीजी में बैल और देवी मां की मूर्तियां मिली हैं।
रोपड़ (सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल)
- पंजाब में रोपड़ की खुदाई वाई डी शर्मा ने की थी।
- रोपड़ के पास एक और स्थल बारा है, जो पूर्व हड़प्पा युग की सड़ती हुई संस्कृति का प्रमाण दिखाता है।
चन्हूदड़ो (सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल)
- चन्हूदड़ो सिंध में मोहनजो-दारो से 130 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है और यह एकमात्र हड़प्पा शहर है जिसमें एक मजबूत गढ़ नहीं है।
- चन्हूदड़ो में विभिन्न मूर्तियों, मुहरों, खिलौनों, हड्डी के औजारों के कारखानों का प्रमाण मिला है, इसलिए यह व्याख्या की गई है कि यहाँ बहुत सारे कारीगर रहते थे और यह एक औद्योगिक शहर था।
बनावली/बनवाली (सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल)
- बनावली हरियाणा के हिसार जिले में स्थित है। बनावली में उच्च गुणवत्ता वाला जौ पाया गया है।
आलमगीरपुर (सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल)
- आलमगीरपुर उत्तर प्रदेश के मेरठ में स्थित है और इसे सिंधु घाटी की पूर्वी सीमा माना जाता है।
- आलमगीरपुर के महत्वपूर्ण खोजों में मिट्टी के बर्तन, पौधों के जीवाश्म, जानवरों की हड्डियाँ और तांबे के औजार शामिल हैं।
सुरकोटडा (सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल)
- सुरकोटडा गुजरात के भुज क्षेत्र में स्थित है और यहाँ से घोड़े की हड्डियों के पहले वास्तविक अवशेषों का प्रमाण मिला है।
रंगपुर (सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल)
- रंगपुर गुजरात में अहमदाबाद से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लोथल के साथ यह दो ऐसे स्थान हैं जहां पुरातत्वविदों को चावल की भूसी मिली है।
राखीगढ़ी (सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल)
- हरियाणा में राखीगढ़ी को सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल माना जाता है। यहाँ अन्न भंडार, कब्रिस्तान, नालियाँ, टेराकोटा की ईंटें मिली हैं।
- इसे हड़प्पा सभ्यता की प्रांतीय राजधानी कहा जाता है।
सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल एवं उसके सम्बंधित तथ्य :
स्थल | खोजकर्त्ता | अवस्थिति | महत्त्वपूर्ण खोज |
हड़प्पा | दयाराम साहनी (1921) | पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मोंटगोमरी जिले में रावी नदी के तट पर स्थित है। | मनुष्य के शरीर की बलुआ पत्थर की बनी मूर्तियाँ अन्नागार बैलगाड़ी |
मोहनजोदड़ो (मृतकों का टीला) | राखलदास बनर्जी (1922) | पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के लरकाना जिले में सिंधु नदी के तट पर स्थित है। | विशाल स्नानागर अन्नागार कांस्य की नर्तकी की मूर्ति पशुपति महादेव की मुहर दाड़ी वाले मनुष्य की पत्थर की मूर्ति बुने हुए कपडे |
सुत्कान्गेडोर | स्टीन (1929) | पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी राज्य बलूचिस्तान में दाश्त नदी के किनारे पर स्थित है। | हड़प्पा और बेबीलोन के बीच व्यापार का केंद्र बिंदु था। |
चन्हुदड़ो | एन .जी. मजूमदार (1931) | सिंधु नदी के तट पर सिंध प्रांत में। | मनके बनाने की दुकानें बिल्ली का पीछा करते हुए कुत्ते के पदचिन्ह |
आमरी | एन .जी . मजूमदार (1935) | सिंधु नदी के तट पर। | हिरन के साक्ष्य |
कालीबंगन | घोष (1953) | राजस्थान में घग्गर नदी के किनारे। | अग्नि वेदिकाएँ ऊंट की हड्डियाँ लकड़ी का हल |
लोथल | आर. राव (1953) | गुजरात में कैम्बे की कड़ी के नजदीक भोगवा नदी के किनारे पर स्थित। | मानव निर्मित बंदरगाह चावल की भूसी अग्नि वेदिकाएं शतरंज का खेल |
सुरकोतदा | जे.पी. जोशी (1964) | गुजरात। | घोड़े की हड्डियाँ |
बनावली | आर.एस. विष्ट (1974) | हरियाणा के हिसार जिले में स्थित। | मनके जौ हड़प्पा पूर्व और हड़प्पा संस्कृतियों के साक्ष्य |
धौलावीरा | आर.एस.विष्ट (1985) | गुजरात में कच्छ के रण में स्थित। | जल निकासी प्रबंधन जल कुंड |
सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल सम्बंधित अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
- सूक्तगेंडोर, लोथल और बालाकोट तटीय शहर थे।
- लोथल और रंगपुर में चावल की भूसी मिली है।
- सुरकोटड़ा में घोड़े की हड्डियाँ मिली है।
- कोट दीजी और अमरी हड़प्पा पूर्व स्थल थे।
- मनके बनाने के कारखाने लोथल और चन्हुदड़ो में मिले हैं।
- हड़प्पा मुहरों पर सर्वाधिक एक श्रृंगी पशु का अंकन मिलता है।
- अग्निकुण्ड लोथल और कालीबंगन से प्राप्त हुए हैं।
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