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क्वांटम कंप्यूटिंग क्या है?

क्वांटम कंप्यूटिंग क्या है?

क्वांटम कंप्यूटर क्वांटम भौतिकी के अनूठे व्यवहार का उपयोग करते हैं – जैसे सुपरपोजिशन, उलझाव और क्वांटम हस्तक्षेप – और इसे कंप्यूटिंग में लागू करते हैं। यह पारंपरिक प्रोग्रामिंग विधियों में नई अवधारणाओं का परिचय देता है।

रिसर्चर्स ने अपने अध्ययनों में पाया है कि क्वांटम स्टेट में जब पार्टिकल्स को ऑब्जर्व किया जाता है तब वह पार्टिकल फॉर्म में होते हैं। वहीं जब उन्हें ऑब्जर्व नहीं किया जाता तब वे वेव फॉर्म में अपने आप को बदल लेते हैं। पर हकीकत में ये दोनों एक ही समय में वेव भी होते हैं और पार्टिकल भी। जैसे ही हम इनका चुनाव करते हैं ये वेव फंक्शन टूट जाता है और अंत में हमें एक पॉसिबल पार्टिकल स्टेट मिलता है। क्वांटम कंप्यूटर क्वांटम फिजिक्स के इसी बिहेवियर को सिमुलेट करता है।

इसे इस तरह से समझिए जब हम एक सिक्का हवा में उछालते हैं तब 2 संभावना होती हैं या तो हेड आएगा या टेल। क्लासिकल कंप्यूटर भी इसी पर कार्य करता है या तो 0 आएगा या 1। वहीं क्वांटम कंप्यूटर इससे अलग सिक्कों के सभी संभावित नतीजों को बता देता है। क्वांटम कंप्यूटिंग अभी विकास के दौर से गुजर रहा है। इसके साथ मुश्किल ये आ रही है कि हम जैसे ही इसे ऑब्जर्व करते हैं तो इसका स्टेट चेंज हो जाता है। पर वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले दशक तक हम इसका भी हल निकाल लेंगे। 

क्वांटम कंप्यूटिंग क्योकि क्यूबिट्स पर काम करते हैं। तो ये एक ही समय में एक प्रश्न के सभी संभावित उत्तर हमें खोज कर बता सकते हैं। ये 1 सवाल के करोड़ों पॉसिबिलिटीज और पैटर्न को मिनटों में खंगालते हैं और उसके सभी संभावित उत्तरों को हमारे सामने लाकर रख देते हैं। क्वांटम कंप्यूटिंग में डाटा की क्रिप्टोग्राफी काफी ज्यादा सटीक ढंग से होती है। इसलिए इसे हैक कर पाना लगभग नामुमकिन है। इसकी मदद से हम बड़ी से बड़ी स्पेस इक्वेशन को मिनटों में सॉल्व कर सकते हैं, जिसे क्लासिकल कंप्यूटर सॉल्व करने में हजारों साल लगा देता है।

क्वांटम कंप्यूटर इतनी तेजी से डाटा को प्रोसेस करता है कि इसके सहारे आसानी से मिनटों में एन्क्रिप्टेड मैसेज को हैक किया जा सकता है। यही एक बड़ी वजह है, जिसके चलते चीन, अमेरिका और भारत जैसे देश इस तकनीक के विकास में हजारों करोड़ रुपये निवेश कर रहे हैं। एक बार जिस देश ने इस तकनीक के विकास में महारत हासिल कर ली, तो उसके लिए किसी दूसरे देश के सूचना तंत्र को हैक करना काफी आसान काम हो जाएगा। 

क्वांटम कंप्यूटर

क्वांटम कंप्यूटिंग के अनुप्रयोग

क्वांटम कंप्यूटिंग के जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में असंख्य अनुप्रयोग हैं जैसे कि सुरक्षित संचार, औद्योगिक प्रक्रियाओं का अनुकूलन, जटिल रासायनिक सिमुलेशन आदि।

  • स्पीड: गूगल ने हाल ही क्वांटम कंप्यूटर से गणना करने का दावा किया है। इसमें कहा गया है कि क्वांटम कंप्यूटर से जो गणना 6:18 सेकेंड में की गई, उसे करने में सुपर कंप्यूटर को 47 साल लग सकते हैं। गूगल की ओर से जिस क्वांटम कंप्यूटर से गणना करने का दावा किया गया है वह 70 क्यूबिट्स का बताया जा रहा है। इससे पहले 2019 में गूगल ने जिस क्वांटम कंप्यूटर से गणना का दावा किया था वह 53 क्यूबिट्स का था। गूगल ने सुपर कंप्यूटर के मुकाबले 47 साल ज्यादा क्वांटम सुप्रीमेसी का दावा किया है। क्वांटम सुप्रीमेसी का अर्थ सुपर कंप्यूटर के मुकाबले क्वांटम कंप्यूटर के काम करने की क्षमता से है। गूगल का दावा है कि जो काम क्वांटर कंप्यूटर 6.18 सेकेंड में कर सकता है, उसे करने में सुपर कंप्यूटर को 47 साल लग सकते हैं।
  • ड्रग डिज़ाइनिंग: कणों के व्यवहार को जानने के लिए क्वांटम कंप्यूटर मौजूदा कम्प्यूटेशनल विधियों की सीमाओं को पार करते हैं। यह दवाओं के आणविक व्यवहार के सभी संभावित क्रमपरिवर्तनों की जानकारी प्राप्त कर उचित परिणाम दे सकता है।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता(AI): क्वांटम कंप्यूटर में शास्त्रीय प्रदर्शन के सापेक्ष मशीन लर्निंग को तेज करने या सुधारने की क्षमता है। यह मशीन-लर्निंग समस्याओं को कुशलतापूर्वक हल करने के लिए सांख्यिकीय वितरण का उपयोग करता है। उदाहरण के लिए: IBM एक आशाजनक मशीन-लर्निंग वर्गीकरण एल्गोरिदम लेकर आया है- एक क्वांटम-शास्त्रीय हाइब्रिड।
  • क्रिप्टोग्राफी: क्वांटम कंप्यूटर द्वारा सक्षम एन्क्रिप्शन सुपरडेंस कोडिंग-सुरक्षित क्वांटम संचार प्रोटोकॉल का उपयोग करके हैक-मुक्त डेटा ट्रांसमिशन सुनिश्चित किया जा सकता है।
  • खगोल विज्ञान: क्वांटम कंप्यूटिंग ब्रह्मांड की अनूठी प्रक्रियाओं जैसे बिग बैंग और ब्लैक होल के रहस्य को उजागर कर सकती है, क्योंकि इसमें अणुओं और ब्रह्मांड की आणविक प्रक्रियाओं का अनुकरण करने की क्षमता है।

क्वांटम कंप्यूटिंग की सीमाएँ

क्वांटम कंप्यूटिंग सबसे आशाजनक तकनीकों में से एक के रूप में उभरी है, हालाँकि, इसमें निम्नलिखित सीमाएँ हैं:

  • हार्डवेयर की कमज़ोरी: Google के 72-क्यूबिट क्वांटम कंप्यूटर को वैक्यूम चैंबर के अंदर लगभग शून्य तापमान की आवश्यकता होती है, जिसमें कंपन को कम करना और चुंबकीय परिरक्षण जटिलता को बढ़ाता है।
  • विसंयोजन: IBM के शोधकर्ताओं ने बताया कि 27-क्यूबिट सिस्टम के लिए सुसंगतता समय 47 माइक्रोसेकंड था – व्यावहारिक त्रुटि सुधार योजनाओं के लिए बहुत कम।
  • मानकों की कमी: वर्तमान में क्वांटम प्रोग्रामिंग भाषाओं और सॉफ़्टवेयर टूल के लिए कोई मानक मौजूद नहीं है। हाल ही में IBM और Microsoft इस बात पर भिड़ गए कि सुपरकंडक्टिंग, आयन ट्रैप और फ़ोटोनिक्स हार्डवेयर में फ़िडेलिटी बेंचमार्क कैसे परिभाषित किए जाते हैं।
  • क्यूबिट स्केलेबिलिटी: इंटेल की 49-क्यूबिट सुपरकंडक्टिंग क्वांटम चिप पुशन एक उच्च वॉटरमार्क है। हालाँकि, कंपनी ने मशीन लर्निंग या रासायनिक सिमुलेशन जैसे डोमेन में क्वांटम लाभ के लिए आवश्यक लाखों क्यूबिट के लिए रोडमैप को विस्तृत नहीं किया है।

क्वांटम प्रौद्योगिकी और भारत:

  • प्रोफेसर सत्येंद्र नाथ बोस, सर चंद्रशेखर वेंकट रमन और प्रोफेसर मेघनाद साहा कुछ ऐसे दिग्गज भारतीय वैज्ञानिक हैं जिन्होंने क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में योगदान दिया है।
  • भारत वर्तमान में इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश के माध्यम से दूसरी क्वांटम क्रांति का दोहन करने में सबसे आगे है।
  • क्वांटम प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोग राष्ट्रीय महत्व के 9 मिशनों में से एक है, जिसे प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय के माध्यम से प्रधान मंत्री विज्ञान और प्रौद्योगिकी नवाचार सलाहकार परिषद (पीएम-एसटीआईएसी) द्वारा संचालित किया जा रहा है।
  • भारत के सतत विकास के लिए अत्याधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान का लाभ उठाने के लिए, फोकस के क्षेत्र लगभग 4 वर्टिकल होंगे –
    • क्वांटम कंप्यूटिंग और सिमुलेशन,
    • क्वांटम सामग्री और उपकरण,
    • क्वांटम संचार और
    • क्वांटम सेंसर और मेट्रोलॉजी।

राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM) क्या है?

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने क्वांटम प्रौद्योगिकी में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान और विकास में सहायता के लिए राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (एनक्यूएम) को मंजूरी दी। इस मिशन पर 2023-24 से 2030-31 तक 6,003.65 करोड़ रुपये की लागत आएगी और इसका उद्देश्य भारत को क्वांटम प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान और विकास में शामिल शीर्ष छह अग्रणी देशों में शामिल करना है।
  • क्वांटम क्षेत्र में भारत के अनुसंधान एवं विकास को मजबूत करने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा NQM का नेतृत्व किया जाएगा।
  • इसका लक्ष्य सुपरकंडक्टिंग और फोटोनिक तकनीक जैसे विभिन्न प्लेटफार्मों में आठ वर्षों में 50-1000 भौतिक क्यूबिट के साथ मध्यवर्ती पैमाने के क्वांटम कंप्यूटर विकसित करना है।

मिशन के अन्य उद्देश्य:

  • भारत और अन्य देशों के साथ 2000 किलोमीटर की सीमा में उपग्रह आधारित सुरक्षित क्वांटम संचार।
  • परमाणु प्रणालियों में उच्च संवेदनशीलता वाले मैग्नेटोमीटर और सटीक समय, संचार और नेविगेशन के लिए परमाणु घड़ियों का विकास करना।
  • यह क्वांटम उपकरणों के निर्माण के लिए सुपरकंडक्टर, नवीन अर्धचालक संरचनाओं और टोपोलॉजिकल सामग्रियों जैसे क्वांटम सामग्रियों के डिजाइन और संश्लेषण का भी समर्थन करेगा।
  • क्वांटम कंप्यूटिंग, संचार, संवेदन और मेट्रोलॉजी के क्षेत्रों में शीर्ष शैक्षणिक और राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास संस्थानों में चार ‘थीमैटिक हब’ (टी-हब) स्थापित किए जाएंगे।
  • ये केंद्र बुनियादी और अनुप्रयुक्त अनुसंधान के माध्यम से नए ज्ञान के सृजन पर ध्यान केंद्रित करेंगे और साथ ही अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देंगे। मिशन में स्वास्थ्य सेवा और निदान, रक्षा, ऊर्जा और डेटा सुरक्षा से लेकर व्यापक पैमाने पर अनुप्रयोग होंगे।

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