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8th Pay Commission| संबंधित सभी महत्वपूर्ण तथ्य

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8th Pay Commission

केंद्र सरकार ने 16 जनवरी 2025 को 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। यह केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन, भत्ते, पेंशन और अन्य लाभों की समीक्षा करेगा और उसी के हिसाब वेतन में बढ़ोतरी की सिफारिश करेगा। 

वेतन आयोग क्या है?

वेतन आयोग असल में एक हाई लेवल कमेटी है। इसका गठन केंद्र सरकार करती है। सबसे हालिया वेतन आयोग 2014 में गठित हुआ और इसकी सिफारिशें 2016 में लागू हुई थीं। वेतन आयोग का मकसद यह तय करना है कि आर्थिक परिस्थितियों के हिसाब से कर्मचारियों को सम्मान से जीने लायक उचित वेतन मिले। यह सरकारी कर्मचारियों के आर्थिक कल्याण के लिए सुधारों की सिफारिश करता है। इसमें कर्मचारी कल्याण की नीतियां, पेंशन, भत्ते और अन्य लाभ शामिल होते हैं।

वेतन आयोग का गठन कैसे होता है?

वेतन आयोग का गठन आमतौर पर हर 10 साल में एक बार किया जाता है। हालांकि, यह जरूरी बंदिश नहीं है। सरकार आर्थिक पहलुओं को ध्यान में रखकर इसका गठन 10 साल से पहले या बाद में भी कर सकती है। वेतन का गठन जरूरत के मुताबिक किसी भी सरकार के कार्यकाल में किया जा सकता है। इसका प्रमुख कोई न्यायाधीश या अन्य उच्च पदस्थ अधिकारी हो सकता है। इसके अन्य सदस्य वेतन, वित्त, अर्थशास्त्र, मानव संसाधन प्रबंधन जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञ होते हैं।

कबसे लागू होगा 8वां वेतन आयोग

साल 2026 में 7वें वेतन आयोग का समय खत्म हो जाएगा। 8वां वेतन आयोग अपनी रिपोर्ट देने से पहले राज्य सरकारों, कर्मचारी संघों आदि से बातचीत करेगा। सरकार जल्‍द ही आठवें पे कमिशन के अध्यक्ष और दो सदस्यों के नाम का भी ऐलान करेगी। माना जा रहा है कि 8वां पे कमीशन जनवरी 2026 से लागू हो सकता है, क्‍योंकि जनवरी में ही 7वें वेतन आयोग की समय-सीमा समाप्‍त हो जाएगी। इससे पहले सभी हितधारकों और सरकारों से सलाह-मशविरा कर लिया जाएगा।

किन कर्मचारियों को नहीं मिलेगा लाभ

7वें वेतन आयोग के मुताबिक, सिविल सर्विसेज के दायरे में आने वाले वे सभी कर्मचारी वेतन आयोग के दायरे में आते हैं, जिन्हें देश के कंसॉलिडेटेड फंड से वेतन मिलता है। वहीं, पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (PSUs) और ऑटोनॉमस बॉडी के कर्मचारी और ग्रामीण डाक सेवक वेतन आयोग के दायरे में नहीं आते हैं। कुछ विशेष कर्मचारी, जैसे कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज भी वेतन आयोग के दायरे से बाहर रहते हैं। इनके वेतन और भत्ते अलग नियम और कानून के तहत तय होते हैं।

सैलरी बढ़ाने का फॉर्मूला कैसे तय होता है?

वेतन आयोग कर्मचारियों का वेतन और सेवा निवृत कर्मचारियों का पेंशन तय करने के लिए कई पहलुओं पर गौर करता है। इनमें महंगाई, देश की आर्थिक स्थिति सबसे अहम फैक्टर होते हैं।

कर्मचारियों की सैलरी में बढ़ोतरी कितनी होगी, इसका मुख्य आधार फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) होगा। फिटमेंट फैक्टर कम होने पर वेतन में वृद्धि कम होगी, जबकि अधिक होने पर सैलरी में शानदार इजाफा देखने को मिल सकता है, तो चलिए एक बार फिटमैंट फैक्टर के बारे में जान लेते हैं।  

क्या होता है फिटमेंट फैक्टर?

फिटमेंट फैक्टर सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की वेतन को महंगाई के अनुरूप बनाए रखने का महत्वपूर्ण जरिया है। यह मूल वेतन को एक निश्चित गुणक से बढ़ाकर नए वेतनमान में समायोजित करता है. इसका सीधा असर ग्रॉस सैलरी और पेंशन पर पड़ता है। इसके जरिए कर्मचारियों की पर्चेजिंग पावर को बनाए रखना और आर्थिक स्थिति में सुधार करना सुनिश्चित करता है।

कितनी बढ़ जाएगी सैलरी और पेंशन

पिछले सातवें वेतन आयोग के समय कर्मचारियों की न्यूनतम बेसिक सैलरी 7,000 रुपए से बढ़ाकर 18,000 रुपए कर दी गई थी। यह 2.57 के फिटमेंट फैक्टर के आधार पर हुआ था। इसी तरह, छठे वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 1.86 था। अब आठवें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर के 2.86 या उससे अधिक होने की संभावना जताई जा रही है।

यदि आठवें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर को 2.86 तय किया जाता है, तो न्यूनतम बेसिक सैलरी 18,000 रुपए से बढ़कर 51,480 रुपए तक पहुंच सकती है। वहीं, यदि कर्मचारी संघों की मांग पर इसे 3.68 किया गया, तो यह वृद्धि और अधिक हो सकती है। इसके तहत न्यूनतम पेंशन भी 9,000 रुपए से बढ़कर 25,740 रुपए तक हो जाएगा।

8th Pay Commission

क्या कहते हैं कर्मचारी संघ?

कर्मचारी संघ लगातार फिटमेंट फैक्टर को 2.57 से बढ़ाकर 3.68 करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि महंगाई और जीवन स्तर में सुधार को देखते हुए वेतन में पर्याप्त वृद्धि होनी चाहिए। सरकार की आर्थिक स्थिति और महंगाई दर को ध्यान में रखते हुए फिटमेंट फैक्टर को अंतिम रूप दिया जाएगा।

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