भारत द्वारा हस्ताक्षरित नवीनतम मुक्त व्यापार समझौता (CEPA)
भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने 18 फरवरी, 2022 को एक मुक्त व्यापार समझौते (सीईपीए) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो 80 प्रतिशत वस्तुओं के लिए टैरिफ कम करने और भारत के निर्यात के 90 प्रतिशत तक शून्य शुल्क पहुंच प्रदान करने के लिए निर्धारित है। भारत-यूएई सीईपीए अफ्रीका और एशिया के बीच नए व्यापार मार्गों को खोलने में मदद करेगा। भारत के निर्यातकों को न केवल संयुक्त अरब अमीरात के बाजार में, बल्कि अरब और अफ्रीकी बाजारों में भी व्यापक पहुंच प्राप्त होगी।
- इस समझौते के 5 वर्षों के भीतर वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार को 100 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने की उम्मीद है, जो वर्तमान में लगभग $ 60 बिलियन से अधिक है।
- 88 दिनों की बातचीत के बाद वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और यूएई के अर्थव्यवस्था मंत्री अब्दुल्ला बिन तौक अल मर्री द्वारा व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
- सीईपीए रत्न और आभूषण, कपड़ा, चमड़ा, जूते, फर्नीचर, कृषि और खाद्य उत्पाद, प्लास्टिक, इंजीनियरिंग सामान, फार्मास्यूटिकल्स, चिकित्सा उपकरण, खेल के सामान आदि जैसे कई श्रम-केंद्रित क्षेत्रों में 10 लाख नौकरियां पैदा करेगा।
मुक्त व्यापार समझौता यानी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) क्या है :
- मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) दुनिया के दो देशों के बीच व्यापारिक संधि है, जिसके तहत देशों के बीच आयात व निर्यात शुरू होता है। इसमें कई तरह की छूट दी जाती है, जिससे सामान सस्ता हो जाता है।
- भारत ने अपना पहला मुक्त व्यापार समझौता श्रीलंका के साथ 1998 मे किया था।
- 1994 से 2010 के बीच भारत ने दूसरे देशों से 79 बायलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट (व्यापारिक संधियां) की, लेकिन इनमें से 54 देशों के साथ समझौते रद्द कर दिए।
- दरअसल, एफटीए की वजह से भारत का व्यापारिक घाटा बढ़ा है।
- नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत के नेतृत्व में जारी डॉक्यूमेंट के मुताबिक वित्त वर्ष 2001 में भारत का व्यापार घाटा 6 अरब डॉलर था, जो वित्त वर्ष 2017 में बढ़ कर 109 अरब डॉलर पहुंच गया।
विभिन्न ट्रेडिंग ब्लॉकों के बारे में जानकारी
अधिमान्य व्यापार समझौता (Preferential trade agreement)
- क्षेत्र के अन्य सदस्यों से आयातित चयनित वस्तुओं पर टैरिफ बाधाओं को कम या समाप्त करता है।
मुक्त व्यापार समझौता (Free trade agreement)
- अन्य सदस्यों से आने वाले सभी सामानों पर व्यापार के लिए बाधाओं को कम या समाप्त करता है।
सीमा शुल्क संघ (Custom union)
- सदस्यों के बीच टैरिफ बाधाओं को हटाने, साथ ही गैर-सदस्यों के खिलाफ एक सामान्य (एकीकृत) बाहरी टैरिफ की स्वीकृति।
सामान्य बाजार (Common Market)
- सदस्यों के बीच श्रम, पूंजी, और उत्पादन (माल/सेवाएं) का मुक्त प्रवाह। उदाहरण: SICA (मध्य अमेरिका में)।
आर्थिक संघ (Economic Union)
- सदस्य एक साझा मुद्रा और समष्टि-आर्थिक नीतियां साझा करते हैं। उदाहरण : यूरोपीय संघ।
CECA और CEPA
ये दोनों मुक्त व्यापार समझौता के उदाहरण है।
सीईसीए | सीईपीए |
व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता | व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता |
टैरिफ कम करें (कस्टम/आयात शुल्क) | टैरिफ कम करें + सेवाओं, निवेश में व्यापार में सहयोग |
देश पहले सीईसीए पर हस्ताक्षर करते हैं और फिर धीरे-धीरे सीईपीए जैसे समझौते की ओर बढ़ते हैं। | – |
उदाहरण: भारत का सिंगापुर के साथ सीईसीए है | उदाहरण : भारत का जापान के साथ सीईपीए है |
एफटीए से संबंधित वैश्विक अनुभव
- ऐसे देश जो वस्तु एवं सेवाओं के क्षेत्र में विशेषज्ञ हैं, वे एफटीए के ज़रिये तुलनात्मक रूप से अधिक लाभ कमा सकते हैं। फिर भी एफटीए के माध्यम से हर कोई लाभ कमाता है, लेकिन आज एफटीए की प्रचलित अवधारणा और वास्तविकता के बीच टकराव देखने को मिल रहा है।
- विदित हो कि ‘उत्तर अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौता’, जिसे 1994 में लागू किया गया था, मैक्सिको को निर्यात के कारण 200,000 नई नौकरियाँ पैदा करने वाला था, लेकिन 2010 तक अमेरिका की मैक्सिको के साथ व्यापार घाटे में बढ़ोतरी हुई और लगभग 700,000 रोज़गार समाप्त हो गए।
- 2010 में अमल में लाये गए यूएस-कोरिया मुक्त व्यापार समझौते का उद्देश्य अमेरिकी निर्यात और नौकरियों में वृद्धि करना था, लेकिन तीन साल बाद व्यापार घाटा और बढ़ गया।
- उल्लेखनीय है कि वैश्वीकरण, आउटसोर्सिंग, भारत एवं चीन के उदय और कम लागत वाले श्रम बाज़ारों को इन परिस्थितियों का ज़िम्मेदार ठहराया गया।
भारत और एफटीए
- यद्यपि भारत 1947 से ही गेट (टैरिफ और व्यापार पर सामान्य समझौता) का एक संस्थापक सदस्य था, जो अंततः 1995 में विश्व व्यापार संगठन में बदल गया था, लेकिन भारत 1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद एफटीए को लेकर गंभीर नज़र आया। इसका प्रभाव यह हुआ कि भारत का व्यापार-जीडीपी अनुपात उल्लेखनीय स्तर पर जा पहुँचा।
- दरअसल, दोहा दौर की वार्ताओं में अंतहीन देरी के कारण ऐसी परिस्थितियाँ बनी कि भारत द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुक्त व्यापार समझौतों के संबंध में स्वयं के स्तर से आगे बढ़ने की कोशिश करने लगा।
- भारत द्वारा हस्ताक्षरित एफटीए की सूची इस प्रकार है:
- श्रीलंका
- दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार समझौता (साफ्टा) पर समझौता
- अनधिकृत व्यापार को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार और नेपाल के बीच सहयोग का संशोधित समझौता
- व्यापार वाणिज्य और पारगमन पर भारत-भूटान समझौता
- भारत – थाईलैंड एफटीए – अर्ली हार्वेस्ट स्कीम (ईएचएस)
- भारत-सिंगापुर व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (सीईसीए)
- भारत – आसियान सीईसीए (माल, सेवाएं और निवेश)
- भारत – दक्षिण कोरिया व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीईपीए)
- भारत – जापान सीईपीए
- भारत – मलेशिया सीईसीए
- भारत – मॉरीशस सीईसीपीए
- Feb 2021 में भारत और मॉरीशस ने इंडिया-मॉरीशस कम्प्रिहेन्सिव इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड पार्टनरशिप एग्रीमेंट (CECPA) मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। सीईसीपीए अफ्रीका में किसी देश के साथ भारत द्वारा हस्ताक्षरित पहला व्यापार समझौता है। भारत-मॉरीशस सीईसीपीए गुरुवार, 01 अप्रैल 2021से लागू हुआ है।
- प्रमुख मुक्त व्यापार समझौता जिस पर बात हो रही है :
- भारत-ईयू व्यापक व्यापार और निवेश समझौता (बीटीआईए), बिम्सटेक एफटीए, भारत-थाईलैंड (सीईसीए), भारत-खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) आदि।
भारत के एफटीए का मूल्यांकन
- साफ्टा के साथ भारत का व्यापार दुनिया के साथ उसके कुल व्यापार की तुलना में तेजी से बढ़ा है। साफ्टा देशों को भारतीय निर्यात उनके आयात की तुलना में तेजी से बढ़ा है जिससे इन अर्थव्यवस्थाओं के साथ व्यापार अधिशेष में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
- भारत-साफ्टा व्यापार के विपरीत आसियान से भारत का आयात आसियान को भारतीय निर्यात की तुलना में काफी अधिक दर से बढ़ा है। ध्यान देने योग्य एक अन्य महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि आसियान से आयात दुनिया से भारत के आयात की तुलना में बहुत तेजी से बढ़ा।
- कोरिया से भारतीय आयात उस देश के निर्यात की तुलना में बहुत तेजी से बढ़ा है।
- जापान के साथ भारत का व्यापार घाटा न केवल 2011-12 से 2018-19 के दौरान बढ़ा है बल्कि दुनिया के साथ भारत के व्यापार घाटे की तुलना में तेजी से बढ़ा है।
- कुल मिलाकर, साफ्टा को छोड़कर, अपने प्रमुख एफटीए भागीदारों के साथ व्यापार में भारत का अनुभव बहुत उत्साहजनक नहीं रहा है।
- जबकि भारत ने साफ्टा देशों के साथ अपने एफटीए से निर्यात के मामले में काफी लाभ प्राप्त किया है, कोरिया के साथ सीईपीए और आसियान के साथ सीईसीए उन अर्थव्यवस्थाओं के लिए अधिक फायदेमंद रहे हैं।
- जापान के साथ सीईपीए के मामले में, हालांकि, कार्यान्वयन के पहले वर्ष के बाद द्विपक्षीय व्यापार में या तो गिरावट आई है या स्थिर हो गई है लेकिन उस देश के साथ व्यापार घाटे में भी काफी वृद्धि हुई है।
निष्कर्ष
- यह दिलचस्प है कि वर्ष 2004 में प्रमुख अर्थशास्त्री पॉल सैमुअलसन ने कहा था कि ‘मुक्त व्यापार वास्तव में श्रमिकों के लिये बदतर हालत पैदा कर सकता है’। लेकिन, मुक्त व्यापार के आक्रामक तरफदारों ने इस पर ठंडी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ‘बूढ़े आदमी ने अपना विवेक खो दिया है। लेकिन, आज उस बूढ़े व्यक्ति की चेतावनी के प्रति दुनिया सचेत नज़र आ रही है।
- मुक्त व्यापार को बढ़ावा देते समय हमें रोज़गार सृजन की चिंताओं को भी ध्यान में रखना होगा। अतः सरकार को गैर-टैरिफ बाधाएँ, सार्वजनिक खरीद में स्थानीय वरीयता पर भी ध्यान देना चाहिये।
- जब हम बात मुक्त व्यापार की कर रहे हैं तो हमें सिद्धांतों एवं वास्तविकताओं का ध्यान रखते हुए आगे बढ़ना होगा।
Also refer :
- Download the pdf of Important MCQs From the History Of Ancient India
- Important International Organizations In Which India Is A Member Country
- Reports Published By International Organizations