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भारत की 15 अमूर्त सांस्कृतिक विरासत| Important Points

अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (Intangible Cultural Heritage) क्या है ?

  • अमूर्त संस्कृति किसी समुदाय, राष्ट्र आदि की वह निधि है जो सदियों से उस समुदाय या राष्ट्र के अवचेतन को अभिभूत करते हुए निरंतर समृद्ध होती रहती है। 
  • विरासत सिर्फ स्‍मारकों या कला वस्‍तुओं के संग्रहण तक ही सीमित नहीं होता है। इसमें उन परंपराओं एवं प्रभावी सोचों को भी शामिल किया जाता है जो पूर्वजों से प्राप्‍त होते हैं ओर अगली पीढ़ी को प्राप्‍त होते हैं जैसे- मौखिक रूप से चल रही परंपराएं, कला प्रदर्शन, धार्मिक एवं सांस्‍कृतिक उत्‍सव और परंपरागत शिल्‍पकला।
  • यह अमूर्त सांस्‍कृतिक विरासत अपने प्रकृति के अनुरूप क्षणभंगुर है और इसे संरक्षण करने के साथ-साथ समझने की भी आवश्‍यकता है क्‍योंकि वैश्‍वीकरण की इस बढ़ते दौर में सांस्‍कृतिक विविधताओं को अक्षुण्‍ण रखना एक महत्‍वपूर्ण कारक है।
  • अमूर्त सांस्कृतिक समय के साथ अपनी समकालीन पीढि़यों की विशेषताओं को अपने में आत्मसात करते हुए मौजूदा पीढ़ी के लिये विरासत के रूप में उपलब्ध होती है। 
  • अमूर्त संस्कृति समाज की मानसिक चेतना का प्रतिबिंब है, जो कला, क्रिया या किसी अन्य रूप में अभिव्यक्त होती है। 
  • उदाहरणस्वरूप, योग इसी अभिव्यक्ति का एक रूप है। भारत में योग एक दर्शन भी है और जीवन पद्धति भी। यह विभिन्न शारीरिक क्रियाओं द्वारा व्यक्ति की भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है। 

भारत में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत

  • भारतीय संस्‍कृति की बहुलता और अनेकता सम्‍पूर्ण विश्‍व के लिए एक साक्ष्‍य है कि भारत मानवता की अमूर्त सांस्‍कृतिक विरासत (आईसीएच) के रूप में माने जाने वाले गीत, संगीत, नृत्‍य, रंगमंच, लोक परम्‍पराओं, मंच कलाओं, रीति – रिवाजों, भाषाओं, बोलियों, चित्रों और लेखन का विश्‍व में सबसे बड़ा संग्रह वाला देश है।
  • यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची 2008 में स्थापित की गई थी जब अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए कन्वेंशन लागू हुआ था। यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के दो भाग हैं। मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची और तत्काल सुरक्षा की आवश्यकता में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची।
  • अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की यूनेस्को की प्रतिनिधि सूची में एक तत्व को शामिल करने के लिए, राज्य दलों को यूनेस्को समिति के मूल्यांकन के लिए संबंधित तत्व पर नामांकन डोजियर प्रस्तुत करना आवश्यक है।
  • संस्कृति मंत्रालय ने एक स्वायत्त संगठन, संगीत नाटक अकादमी को, अमूर्त सांस्कृतिक विरासत से संबंधित मामलों के लिए नोडल कार्यालय के रूप में नियुक्त किया है, जिसमें यूनेस्को की प्रतिनिधि सूची के लिए नामांकन डोजियर तैयार करना शामिल है।

विश्व धरोहर स्थल

यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची

अमूर्त (intangible) सांस्कृतिक विरासत
कालबेलिया नृत्य
अमूर्त सांस्कृतिक विरासतवर्ष
वैदिक जप की परंपरा2008
रामलीला, रामायण का पारंपरिक प्रदर्शन2008
कुटियाट्टम, संस्कृत थिएटर2008
रमन, धार्मिक त्योहार और गढ़वाल हिमालय के अनुष्ठान थिएटर, भारत2009
मुदियेट्टू, अनुष्ठान थिएटर और केरल के नृत्य नाटक2010
कालबेलिया लोक गीत और नृत्य, राजस्थान2010
छऊ नृत्य2010
लद्दाख का बौद्ध जप2012
संकीर्तन, अनुष्ठान गायन, ढोल और मणिपुर का नृत्य2013
जंडियाला गुरु के ठठेरे: बर्तन बनाने का पारंपरिक पीतल और तांबे का शिल्प2014
योग2016
नवरोज़2016
कुंभ मेला2017
दुर्गा पूजा (कोलकाता)2021
गुजरात का गरबा2023

प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणीय संस्थाएँ

भारत में महत्वपूर्ण अभिलेखों की सूची

भारत सरकार द्वारा अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की देखभाल के लिए किये गए उपाय

वर्ष 2005 में अमूर्त सांस्‍कृतिक विरासत की सुरक्षा के सम्‍मेलन के अनुसमर्थन के पश्‍चात सरकार ने अपने अनेक अभिकरणों, अर्धसरकारी अभिकरणों और क्षेत्रीय सरकारी अभिकरणों, गैर-सरकारी संगठनों के माध्‍यम से गंभीर प्रयास किए हैं जो वृद्धि, स्थिरता, आगे दृश्‍यता और विकास के लिए अनेक तरीकों से अमूर्त सांस्‍कृतिक विरासत के तत्‍वों की सहायता करते हैं।

अमूर्त सांस्‍कृतिक विरासत सभी स्‍तरों पर व्‍यक्तियों और समुदायों को सक्षम बनाते हुए रहन – सहन और सतत पुनर्सृजित प्रथाओं, जानकारियों और प्रस्‍तुतीकरण में सहायता करती है जो मूल्‍यों तथा नैतिक मानकों की प्रणाली के माध्‍यम से उनकी बृहद संकल्‍पना को व्‍यकत करने में मदद करती है। भारत की सांस्‍कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए निम्‍नलिखित बहुआयामी प्रणाली निरूपित की गई है :

  1. राष्‍ट्रीय स्‍तर पर : अकादमियां (संगीत नाटक अकादमी, साहित्‍य अकादमी, ललित कला अकादमी), स्‍वायत्‍तशासी निकाय (जैसे आईसीसीआर), अधीनस्‍थ निकाय (जैसे भारतीय मानवविज्ञान सर्वेक्षण) और अनेक स्‍वायत्‍त शासी संस्‍थान, मिशन और सर्वेक्षण गठित किए गये हैं।
  2. राज्‍य स्‍तर पर : अनेक क्षेत्रीय सांस्‍कृतिक केन्‍द्र, भारत के राज्‍यों को क्षेत्रवार कवर करते हुए स्‍थापना की गई है – पूर्व क्षेत्र, उत्‍तर क्षेत्र, उत्‍तर मध्‍य क्षेत्र, दक्षिण मध्‍य क्षेत्र, दक्षिण क्षेत्र और पश्चिम क्षेत्र।
  3. क्षेत्रीय, जिला और जमीनी स्‍तर पर सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देते हुए अपनेपन और निरंतरता की समझ का समुदायों के बीच सृजन।
यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत

Also refer:

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