.

आयरन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम

Share it

आयरन डोम एक बड़े मिसाइल डिफेंस सिस्टम का हिस्सा है, जिसे इसराइल ने लाखों डॉलर खर्च कर बनाया है।

  • ये सिस्टम ख़ुद से पता लगा लेता है कि मिसाइल रिहायशी इलाकों में गिरने वाला है या नहीं और कौन-सा मिसाइल अपने निशाने से चूक रहा है।
  • सिर्फ वो मिसाइल जो रिहायशी इलाकों में गिरने वाले होते हैं, उन्हें ये सिस्टम बीच हवा में मार गिराता है. ये खूबी इस तकनीक को बेहद किफ़ायती बनाती है।
  • टाइम्स ऑफ़ इसराइल अख़बार के मुताबिक़ हर इंटरसेप्टर की क़ीमत क़रीब 1.5 लाख डॉलर है।
  • साल 2006 में इस्लामी समूह हिज़बुल्लाह से लड़ाई के बाद इसराइल ने इस तकनीक पर काम करना शुरू किया था।
  • हिज़बुल्लाह ने इसराइल की दिशा में हज़ारों रॉकेट दागे थे जिसके कारण दर्जनों इसराइलियों की मौत हो गई थी। कई सालों की रिसर्च के बाद साल 2011 में इस सिस्टम को टेस्ट किया गया. टेस्ट के दौरान दक्षिणी शहर बीरसेबा से दागे गए मिसाइलों को ये सिस्टम मार गिराने में कामयाब रहा था।
  • इजरायली सेना का दावा है कि उसका ‘आयरन डोम’ सिस्‍टम दुश्‍मन की 90 फीसद मिसाइलों को हवा में ही ध्‍वस्‍त कर देता है। यह एयर डिफेंस सिस्‍टम दुश्‍मन के ड्रोन को भी नेस्‍तनाबूंद कर देता है।
  • इस सिस्टम को बनाने में अमेरिका ने इजराइल को तकनीकी और आर्थिक मदद दी है। इस शॉर्ट रेंज ग्राउंड-टू-एयर, एयर डिफेंस सिस्टम में रडार और तामिर इंटरसेप्टर मिसाइल है, जो किसी भी रॉकेट या मिसाइल को ट्रैक करके उसे रास्ते में ही ध्वस्त कर देती है। जिस तरह अभी गाजा से दागे गए रॉकेट को इस सिस्टम ने नष्ट किया। मीडियम और लॉन्ग रेंज थ्रेट के लिए दो अलग सिस्टम काम करते हैं। इन्हें डेविड्स स्लिंग और ऐरो कहा जाता है। इससे रॉकेट, आर्टिलरी और मोर्टार के साथ-साथ विमान, हेलिकॉप्टर और मानव रहित हवाई वाहनों का मुकाबला किया जा सकता है।

आयरन डोम काम कैसे करता है?

जब दुश्मन रॉकेट दागता है तो आयरन डोम रडार सिस्टम एक्टिव होकर उसके रास्ते को एनालाइज करता है। इससे ये पता चलता है कि आखिर ये रॉकेट कहां गिरने वाला है, क्या ये इजराइल के लिए खतरा है। अगर ऐसा होता है तो किसी मोबाइल यूनिट या स्टैटिक यूनिट से एक इंटरसेप्टर लॉन्च होता है जो रॉकेट के किसी रिहायशी इलाके या अहम इमारत पर गिरने से पहले ही उसे हवा में ही नष्ट कर देता है। जैसा हाल में हुए इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष के दौरान देखने को मिला। हालांकि इस डिफेंस सिस्टम की आलोचना करने वाले एक्सपर्ट कहते हैं कि आयरन डोम फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है।

इस सिस्टम को लगाने में खर्च कितना आता है?

  • इस सिस्टम के यूनिट की कीमत 50 मिलियन डॉलर (करीब 368 करोड़ रुपए) होती है।
  • वहीं, एक इंटरसेप्टर तामिर मिसाइल की कीमत करीब 80 हजार डॉलर (59 लाख रुपए) होती है।
  • वहीं, एक रॉकेट 1 हजार डॉलर (करीब 74 हजार रुपए) से भी कम का होता है। इस सिस्टम रॉकेट को इंटरसेप्ट करने के लिए दो तामिर मिसाइलें लगी होती हैं।
  • एक्सपर्ट्स इसे कम खर्चीला मानते हैं क्योंकि ये तभी चलाया जाता है जब किसी रॉकेट से इंसान की जिंदगी या किसी अहम इन्फ्रास्ट्रक्चर को खतरा होता है। इस वजह से कम इंटरसेप्टर की जरूरत पड़ती है।
  • हालांकि इजराइल में ही सरकार के आलोचकों का कहना है कि सरकार इस सिस्टम पर बहुत ज्यादा निर्भर हो गई है। उसे दूसरे डिफेंस सिस्टम पर भी काम करने की जरूरत है।

तो क्या गाजा से दागे जाने वाले सभी रॉकेट से इजराइल को कोई फर्क नहीं पड़ा?

  • इजराइल पिछले एक दशक से आयरन डोम का इस्तेमाल कर रहा है। इसके बाद भी तनाव होने पर फिलिस्तीनी समूहों की ओर से रॉकेट दागे जाते हैं। आयरन डोम के बहुत प्रभावी होने के बाद भी कुछ रॉकेट रिहायशी इलाकों में गिरते हैं। इससे काफी नुकसान होता है।
  • हमास और इस्लामिक जेहादियों पर नजर रखने वाले एक्सपर्ट्स का मानना है कि हमास और उसके सहयोगियों के पास दसियों हजार रॉकेट हो सकते हैं।
  • अमेरिकी एक्सपर्ट दावा करते हैं कि हमास को शुरुआत में ये रॉकेट मिस्र सीमा से तस्करी करके ईरान से मिले। हालांकि अब फिलिस्तीनी एक्सपर्ट इसे खुद बना रहे हैं। हमास ने 2001 के आसपास कस्सम नाम का रॉकेट बनाना शुरू किया। शुरुआत में इसकी रेंज एक से दो मील थी। नए वर्जन कस्सम 3 में इस रेंज को बढ़ाकर 10 मील कर दिया गया।
  • हालांकि इस बार के संघर्ष में ऐसे रॉकेट का भी इस्तेमाल हुआ जिनकी रेंज 40 मील तक है। इजराइली सेना का कहना है कि 2019 में संघर्ष के दौरान हमास ने 75 मील तक की रेंज के रॉकेट का इस्तेमाल किया था।
  • इजराइली सेना के रिटायर्ड ब्रिगेडियर जनरल माइकल हेरजोग ने 2019 में दि वाशिंगटन पोस्ट से कहा था कि 2.5 मील से ज्यादा रेंज के रॉकेट पर आयरन डोम बहुत ज्यादा कारगर नहीं होता। तनाव और नए खतरों को देखते हुए बुधवार को इजराइली सेना ने गाजा बॉर्डर के आसपास रहने वाले लोगों को घर से बाहर नहीं निकलने को कहा है।

इस तरह का कोई सिस्टम क्या भारत के पास भी है?

अमेरिका, रूस के साथ ही इजराइल भी मिसाइल डिफेंस सिस्टम का मास्टर है। चारों ओर से दुश्मनों से घिरे इजराइल ने पिछले कई सालों से अमेरिका की मदद से अपने डिफेंस सिस्टम को बहुत मजबूत कर लिया है। जहां तक भारत की बात है तो भारत रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीद रहा है। ये प्रॉसेस अभी चल रही है। S-400 भी रॉकेट, मिसाइल और क्रूज मिसाइलों के हमले से बचाता है। इसकी रेंज आयरन डोम से ज्यादा है। भारत इजराइल की तुलना में क्षेत्रफल के लिहाज से बड़ा देश है, लिहाजा ऐसे सिस्टम भारत के लिए ज्यादा जरूरी हैं।

Source : Dainik Bhaskar, BBC Hindi

Also refer :

Scroll to Top