बिहार आर्थिक सर्वेक्षण का सार: 2024-25
यह रिपोर्ट राज्य के उप मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश की। यह बिहार आर्थिक सर्वेक्षण की 19वीं रिपोर्ट थी, जो 2006-07 में नीतीश कुमार सरकार द्वारा शुरू की गई थी।
बिहार अर्थव्यवस्था : एक अवलोकन (बिहार आर्थिक सर्वेक्षण)
कारक | बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में डेटा 2023-24 से लिया गया है |
बिहार के जीएसडीपी में वृद्धि दर | 14.5% (वर्तमान कीमतों पर) 9.2% (स्थिर कीमतों पर) |
बिहार के जीएसडीपी में CAGR वृद्धि दर | 10.9% (वर्तमान कीमतों पर) 5.4% (स्थिर कीमतों पर) |
वर्तमान कीमतों पर जीएसडीपी | 8,54,429 करोड़ रुपये |
स्थिर कीमतों पर जीएसडीपी | 4,64,540 करोड़ रुपये |
मौजूदा कीमतों पर NSDP | 7,71,435 करोड़ रुपये |
स्थिर कीमतों पर एनएसडीपी | 4,11,359 करोड़ रुपये |
वर्तमान कीमतों पर GFCF (सकल स्थिर पूंजी निर्माण) | 38,986 करोड़ रुपये |
जीएसडीपी में प्राथमिक क्षेत्र का हिस्सा | 19.9% |
जीएसडीपी में द्वितीयक क्षेत्र का हिस्सा | 21.5% |
जीएसडीपी में तृतीयक क्षेत्र का हिस्सा | 58.6% |
स्थिर कीमतों पर प्राथमिक क्षेत्र की विकास दर | 5.7% |
स्थिर कीमतों पर द्वितीयक क्षेत्र की विकास दर | 8.2% |
स्थिर कीमतों पर तृतीयक क्षेत्र की विकास दर | 10.8% |
प्रति व्यक्ति आय | Rs. 66,828 (वर्तमान कीमतों पर) Rs. 36,333 (स्थिर कीमतों पर) |
जीएसडीपी में 3.5 गुना वृद्धि
बिहार की अर्थव्यवस्था पिछले दशक में तेजी से बढ़ी है. रिपोर्ट के अनुसार, 2011-12 में बिहार का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) 2.47 लाख करोड़ रुपये था, जो 2023-24 में 8.54 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया. यह लगभग 3.5 गुना वृद्धि को दर्शाता है, जो राज्य की आर्थिक मजबूती का संकेत है. 2023-24 के लिए अनुमानित GSDP वर्तमान मूल्य पर 8,54,429 करोड़ रुपये और 2011-12 के स्थिर मूल्य पर 4,64,540 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. इस दौरान बिहार की आर्थिक वृद्धि दर 14.5% रहने की संभावना जताई गई है.
उद्योग और कृषि क्षेत्र में योगदान
बिहार के सकल राज्य घरेलू उत्पाद में सेवा क्षेत्र (तृतीयक क्षेत्र) का सबसे अधिक 58.6% योगदान है. इसके बाद, उद्योग (द्वितीयक क्षेत्र) का 21.5% और कृषि (प्राथमिक क्षेत्र) का 19.9% योगदान रहा है. यह इंगित करता है कि बिहार में सेवा और औद्योगिक क्षेत्रों का विस्तार हो रहा है, जबकि कृषि का योगदान स्थिर बना हुआ है.
प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि
राज्य की आर्थिक वृद्धि का सकारात्मक असर प्रति व्यक्ति आय पर भी पड़ा है. वर्ष 2023-24 में प्रति व्यक्ति आय में 12.8% की वृद्धि दर्ज की गई. यह संकेत करता है कि बिहार में जीवन स्तर धीरे-धीरे सुधर रहा है और आर्थिक विकास का लाभ आम जनता तक पहुंच रहा है.
बिहार सरकार का कुल व्यय और बजट प्रबंधन
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में बिहार सरकार का कुल व्यय 2,52,082 करोड़ रुपये रहा. इसमें योजना व्यय 1,01,835 करोड़ रुपये और स्थापना एवं समर्पित व्यय: 1,50,247 करोड़ रुपये. पूंजीगत व्यय (बुनियादी ढांचे और विकास परियोजनाओं पर खर्च) में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो राज्य के दीर्घकालिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है.
राजस्व प्राप्ति और कर संग्रह में बढ़ोतरी
राज्य सरकार ने कर संग्रह में सुधार किया है, जिससे बिहार की वित्तीय स्थिति मजबूत हुई है. वर्ष 2023-24 में सरकार ने 1,61,965 करोड़ रुपये कर राजस्व के रूप में अर्जित किए, जो कुल राजस्व प्राप्तियों का 83.8% है. इससे स्पष्ट होता है कि बिहार सरकार अपने आंतरिक संसाधनों को बढ़ाने में सफल रही है और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रही है.
राजकोषीय स्थिरता और आर्थिक नीति
राजकोषीय सूचकों के अनुसार, बिहार की वित्तीय स्थिति वर्तमान में स्थिर और लचीली बनी हुई है. सरकार का व्यय प्रबंधन और निवेश नीतियां आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने में सहायक होंगी. रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि बिहार की आर्थिक नीतियां दीर्घकालिक विकास को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं, जिससे राज्य की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित हो सके.
Also refer:
- बिहार स्पेशल सामान्य ज्ञान
- Download BPSC 66th prelims question paper: हिंदी में, English.
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