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बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2020-2021 की मुख्य विशेषताएं नीचे दी गई हैं:
यह बिहार का 15वां आर्थिक सर्वेक्षण है। सर्वेक्षण में 13 अध्याय हैं जिनमें प्रत्येक अध्याय में महामारी के दौरान सरकार द्वारा की गई पहलों पर एक खंड है।
अध्याय 1 : बिहार का अर्थव्यवस्था एक अवलोकन
- बिहार ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में दोहरे अंकों की विकास दर दर्ज की, जो राष्ट्रीय स्तर पर विकास दर के दोगुने से भी अधिक है।
- बिहार में 2019-20 के वित्तीय वर्ष में विकास दर 10.5 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि इस अवधि के दौरान यह राष्ट्रीय स्तर पर 4.2 प्रतिशत थी।
- 2019-20 में बिहार का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) वर्तमान मूल्य पर 6,11,804 करोड़ रुपये और 2011-12 के स्थिर मूल्य पर 4,14,977 करोड़ रुपये रहा।
- 2019-20 में बिहार का निवल राज्य घरेलू उत्पाद (NSDP) वर्तमान मूल्य पर 5,62,710 करोड़ रुपये और 2011-12 के स्थिर मूल्य पर 3,77,216 करोड़ रुपये था।
- परिणामस्वरुप बिहार की प्रति व्यक्ति जीएसडीपी मौजूदा कीमतों पर 50,735 रुपये और स्थिर (2011-12) कीमतों पर 34,413 रुपये था।
- तीन प्रमुख क्षेत्रों में (प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक) प्राथमिक क्षेत्र के हिस्से में लगातार गिराबट आई है जो 2013 -14 के 23.4% से घटकर 2019-20 में 19.5% रह गया।
- वहीं, द्वितीयक क्षेत्र के हिस्से में मामूली बदलाव आया है जो 2013-14 में 19.3% से 2019-20 में 20.3% हो गया।
- लेकिन तृतीयक क्षेत्र में निस्संदेह उल्लेखनीय वृद्धि हुई है जो 2013-14 के 57.3 प्रतिशत से बढ़कर 2019-20 में 60.2 प्रतिशत हो गया।
- तृतीयक क्षेत्र के भीतर, दो उप-क्षेत्र जिन्होंने 2013-14 और 2019-20 के बीच सकल राज्य मूल्य वर्धित (जीएसवीए) में अपना हिस्सा उल्लेखनीय रूप से बढ़ाया है, वे हैं – पथ परिवहन (4.4 से 5.9 प्रतिशत) और अन्य सेवाएं (10.5 से 13.8 प्रतिशत)।
- प्रति व्यक्ति सकल जिला घरेलू उत्पाद (2017-18) आंकड़े पर सभी 38 जिलों की रैंकिंग से पता चलता है कि बिहार के तीन सबसे समृद्ध जिले पटना (1,12,604 रुपये), बेगूसराय (45,540 रुपये) और मुंगेर (37,385 रुपये) हैं। दूसरी ओर, तीन सबसे गरीब जिले हैं: किशनगंज (19,313 रुपये), अररिया (18,981 रुपये) और शिवहर (17,569 रुपये)।
अध्याय 2 : राजकीय वित्तव्यवस्था
वर्ष 2019-20 के सम्बन्ध में विभिन्न तथ्य :
विभिन्न तथ्य | वर्ष 2019-20 | वर्ष 2018-19 |
कुल प्राप्ति | 1,53,408 करोड़ रु | 1,52,287 करोड़ रु |
राजस्व प्राप्ति | 1,24,233 करोड़ रु | 1,31,793 करोड़ रु |
पूंजीगत प्राप्ति | 29,175 करोड़ रु | 20,494 करोड़ रु |
कुल राजस्व व्यय | 1,23,533 करोड़ रु | 1,43,613 करोड़ रु |
पूंजीगत व्यय | 20,080 करोड़ रु | – |
राजस्व अधिशेष | 699 करोड़ रु | 6897 करोड़ रु |
GSDP का कुल राजस्व व्यय | 20.2% | 24.2% |
राज्य सरकार की उधारी GSDP का | 4.8% | 3.6% |
सकल राजकोषीय घाटा GSDP का | 2% | 2.7% |
राज्य का अपना कर और करेतर राजस्व | 33,858 करोड़ रु | 33,539 करोड़ रु |
राज्य का अपना राजस्व कुल राजस्व का | 27.3% | 25.4% |
- बिहार 2004-05 से ही लगातार राजस्व अधिशेष वाला राज्य रहा है। 2019-20 में अधिशेष 2018-19 के 6897 करोड़ से घटकर 699 करोड़ रु रह गया। वित्त वर्ष 2019-20 में राजस्व व्यय की अपेक्षा राजस्व प्राप्ति में अधिक कमी आई जिसकी परिणति कम राजस्व अधिशेष में हुई।
- बिहार में राज्य सरकार का कुल बकाया ऋण 2019-20 में 1,90,899 करोड़ रु था और कुल बकाया ऋण का 77.6% लोक ऋण था। बकाया ऋण में शेष हिस्सा लघु बचतों, भविष्य निधि, आरक्षित निधियों और जमा एवं अग्रिमों का था। सकल राज्य घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के बतौर बिहार की राज्य सरकार की कुल बकाया देनदारी 2019-20 में 30.9% थी।
अध्याय 3 : कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्र
- वर्ष 2019-20 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद में कृषि और संबद्ध क्षेत्र का कुल योगदान 18.7 प्रतिशत रहा।
- बिहार में 2019-20 में 163.80 लाख टन खाद्यान्न का पर्याप्त रिकॉर्ड उत्पादन दर्ज हुआ।
- बिहार में 2019-20 में उर्बरकों की कुल खपत 36.24 लाख टन हुई।
अध्याय 4 : उद्यमिता क्षेत्र
- निर्माण उप-क्षेत्र बिहार में विकास का प्रमुख वाहक रहा है जिसके बाद बिजली, गैस, जलापूर्ति एवं अन्य उपयोगी सेवाओं (EGWS) का स्थान है।
- बिहार में औद्योगिक क्षेत्र का योगदान लगभग 20 % रहा है जबकि इसका सम्पूर्ण भारत का औसत लगभग 31% रहा है।
- बिहार में 2007 – 08 से 2017 -18 के बीच चालू कृषि आधारित कारखानों की वृद्धि दर 11.7% रही है जो सम्पूर्ण भारत के स्तर से 9.3% अधिक है।
- कृषि आधारित कारखानों की वृद्धि दर से पता चलता है कि बिहार में होनेवाले कृषि उत्पादन के बड़े हिस्से का वास्तविक प्रसंस्करण अब राज्य में ही होता है।
अध्याय 5 : श्रम नियोजन एवं प्रवास
- पुरुष और महिला, दोनो के लिए श्रमिक जनसँख्या अनुपात देश के प्रमुख राज्यों के बीच बिहार में सबसे कम है।
- रोजगार की स्थिति के आधार पर श्रमिकों के वितरण से पता चलता है कि बिहार में 57.6 प्रतिशत पुरुष कामगार स्व-नियोजित थे, जबकि बिहार में नियमित वेतन/वेतनभोगी पुरुष श्रमिकों का अनुपात सिर्फ 9.7 प्रतिशत था, जो भारत के सभी राज्यों में सबसे कम है।
अध्याय 6 : अधिसंरचना एवं संचार
- बिहार में कुल मिलाकर 58 राष्ट्रीय उच्चपथ हैं जिनकी कुल लम्बाई सितम्बर 2020 में 5475 किमी थी।
- वर्ष 2014 से सितम्बर 2020 तक रेलवे ने बिहार में 300 किमी नई लाइनें बनवाई।
- बिहार में ग्रामीण दूरभाष घनत्व बढ़ रहा है जबकि शहरी दूरभाष घनत्व घट रहा है। हालाँकि प्रति कनेक्शन प्रति व्यक्ति शहरी दूरभाष घनत्व बाधा है।
अध्याय 7 : उर्जा क्षेत्र
बिजली सम्बंधित तथ्य | वर्ष 2019-20 | वर्ष 2012-13 |
अनुमानित चरम मांग | 5900 मेगावाट | 2650 मेगावाट |
मांग की चरम पूर्ति | 5891 मेगावाट | 1802 मेगावाट |
प्रति व्यक्ति खपत | 332 किलोवाट-आवर | 145 किलोवाट-आवर |
- वर्ष 2018-19 में राज्य में बिजली की उपलब्ध क्षमता 4767 मेगावाट थी जो 27.4% बढ़कर 2019-20 में 6073 मेगावाट हो गई। बिजली की बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए 2022 -23 तक विभिन्न स्रोतों से 4516 मेगावाट की अतिरिक्त क्षमता बढ़ने की योजना है।
- नवीन एवं नाविकरानीय उर्जा मंत्रालय ने 2019-20 के लिए बिहार को 5 मेगावाट रूफटोप सोलर की क्षमता आवंटित की है।
अध्याय 8 : ग्रामीण विकास
- बिहार जीविका मिशन (जीविका) राज्य में ग्रामीण विकाश के लिए लगातार काम कर रही है। अभी तक गठित स्वयं सहायता समूहों की संख्या 10.17 लाख है।
- लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण योजना है।अभी तक इसके तहत 96% गाँव खुले में शौच मुक्त हो चुके हैं।
अध्याय 9 : नगर विकाश
- बिहार में शहरीकरण का परिमाण भारतीय स्तर की तुलना में कम मात्र 11.3% है।
- लेकिन हाल में 8 नए नगर परिषदों के साथ 109 नए अधिसूचित क्षेत्र परिषदों की स्थापना की गई है।
- इसके आलावा कुछ क्षेत्रों को उत्क्रमित भी किया जा रहा है जिससे शहरीकरण दर 11.3% से बढ़कर 15.2% हो जायेगा।
अध्याय 10 : बैंकिंग और सहवर्ती क्षेत्र
- राज्य में 2019-20 में प्रमुख बैंकों की कुल 177 नई शाखाएँ खोली गई जिसमे 110 निजी बैंकों की थी। इन 177 शाखाओं में से 40.1% ग्रामीण क्षेत्रों में खुली।
- बिहार में ऋण जमा (CD) अनुपात काफी कम है, सर्वेक्षण में कहा गया है कि बिहार में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का सीडी अनुपात 2018-19 में 34 प्रतिशत से बढ़कर 2019-20 में 36.1 हो गया है जो कि राष्ट्रीय औसत 76.5 प्रतिशत से कम है।
- बिहार के किसी भी जिले का ऋण जमा अनुपात सम्पूर्ण भारत के औसत से अधिक नहीं था।
- पूर्णिया का ऋण जमा अनुपात सर्वाधिक 75.1% और मुंगेर का सबसे कम 25.9% था।
अध्याय 11 : मानव विकास
- पिछले 6 वर्षों (2014-15 से 2019-20) में राज्य में प्रति व्यक्ति विकास व्यय में 17.9% की दर से होती रही है जबकि राष्ट्रीय औसत 11.6% ही है। इस अवधि में शिक्षा पर व्यय की वृद्धि दर 17.3 % थी जबकि स्वास्थ्य पर व्यय की वृद्धि दर 21.4 % रही है।
- वर्ष 2001 में बिहार में कुल प्रजनन दर 4.4 प्रति महिला थी जो 2016 में घटकर 3.3 रह गई।
अध्याय 12 : बाल विकास
- बिहार में 48% आवादी 0 से 18 वर्ष उम्र समूह वाले बच्चों की है।
- बिहार में बच्चों के लिए बजट निर्माण की प्रक्रिया 2013 – 14 में शुरू हुई।
अध्याय 13 : पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रवंधन
- वर्ष 2019-20 में बिहार में 1094 मिमी वार्षिक वर्षापात हुआ।
- पक्षी संरक्षण की संस्कृति को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से बिहार का पहला राज्य पक्षी उत्सव, ‘कालराव’ 15-17 जनवरी, 2021 को जमुई के नागी और नकटी पक्षी अभयारण्यों में आयोजित किया गया था।
Also refer :
- Download the pdf of Important MCQs From the History Of Ancient India
- List Of Important Inscriptions In India
- बिहार आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट : 2020-21.
- Highlights Of Bihar Economic Survey 2020-2021.