बिहार के महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी
कुँवर सिंह (13 नवंबर 1777 – 26 अप्रैल 1858) | बिहार के महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी
- वीर कुंवर सिंह का जन्म 13 नवंबर 1777 को बिहार के भोजपुर जिले के जगदीशपुर गांव में हुआ था।
- 27 अप्रैल 1857 को दानापुर के सिपाहियों, भोजपुरी जवानों और अन्य साथियों के साथ आरा नगर पर बाबू वीर कुंवर सिंह ने कब्जा कर लिया। अंग्रेजों की लाख कोशिशों के बाद भी भोजपुर लंबे समय तक स्वतंत्र रहा।
- ब्रिटिश इतिहासकार होम्स ने उनके बारे में लिखा है, ‘उस बूढ़े राजपूत ने ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध अद्भुत वीरता और आन-बान के साथ लड़ाई लड़ी। यह गनीमत थी कि युद्ध के समय कुंवर सिंह की उम्र अस्सी के करीब थी। अगर वह जवान होते तो शायद अंग्रेजों को 1857 में ही भारत छोड़ना पड़ता।’
अनुग्रह नारायण सिंह (1887-1957) | बिहार के महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी
- डॉ अनुग्रह नारायण सिंह एक भारतीय राजनेता और बिहार के पहले उप मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री (1946-1957) थे।
- डा अनुग्रह नारायण सिन्हा का जन्म औरंगाबाद जिले के पोईअवा नामक गांव में 18 जून 1887 को हुआ था।
- उन्होंने महात्मा गांधी एवं डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद के साथ चंपारण सत्याग्रह में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। वे आधुनिक बिहार के निर्माताओं में से एक थे।
- लोकप्रियता के कारण उन्हें बिहार विभूति के रूप में जाना जाता था।
- सर्फूद्दीन के नेतृत्व में ‘बिहारी छात्र सम्मेलन’ नामक संस्था संगठित की गई, जिसमें देशरत्न राजेन्द्र बाबू और अनुग्रह बाबू, ऐसे मेधावी छात्रों को कार्य करने तथा नेतृत्व करने का सुअवसर प्राप्त हुआ।
राजेन्द्र प्रसाद | बिहार के महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी
- राजेन्द्र बाबू का जन्म 3 दिसम्बर 1884 को बिहार के तत्कालीन सारण जिले (अब सीवान) के जीरादेई नामक गाँव में हुआ था।
- 1906 ई. में उन्हीं के नेतृत्व में बिहारी छात्र सम्मलेन का प्रथम अधिवेशन संपन्न हुआ था।
- ‘बिहार लॉ’ नमक एक साप्ताहिक पत्रिका का प्रकाशन उन्होंने 1916 ई. में प्रारंभ किया था।
- 1919 ई. के रोलेट एक्ट के विरोध में उन्होंने वकालत छोड़ दी थी।
- 1930 ई. में राजेंद्र बाबू को बिहार कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था।
- 1934 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन में अध्यक्ष चुने गये। नेताजी सुभाषचंद्र बोस के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र देने पर कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार उन्होंने एक बार पुन: 1939 में सँभाला था।
- भारत के स्वतन्त्र होने के बाद संविधान लागू होने पर उन्होंने देश के पहले राष्ट्रपति का पदभार सँभाला। राष्ट्रपति के तौर पर उन्होंने कभी भी अपने संवैधानिक अधिकारों में प्रधानमंत्री या कांTग्रेस को दखलअंदाजी का मौका नहीं दिया और हमेशा स्वतन्त्र रूप से कार्य करते रहे। हिन्दू अधिनियम पारित करते समय उन्होंने काफी कड़ा रुख अपनाया था। राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने कई ऐसे दृष्टान्त छोड़े जो बाद में उनके परवर्तियों के लिए उदाहरण बन गए।
- राष्ट्रपति होने के अतिरिक्त उन्होंने भारत के पहले मंत्रिमंडल में 1946 एवं 1947 मेें कृषि और खाद्यमंत्री का दायित्व भी निभाया था।
- भारतीय संविधान के लागू होने से एक दिन पहले 25 जनवरी 1950 को उनकी बहन भगवती देवी का निधन हो गया, लेकिन वे भारतीय गणराज्य के स्थापना की रस्म के बाद ही दाह संस्कार में भाग लेने गये। 12 वर्षों तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने के पश्चात उन्होंने 1962 में अपने अवकाश की घोषणा की। अवकाश ले लेने के बाद ही उन्हें भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाज़ा गया।
- 28 फरवरी 1962 को उनका निधन हो गया।
राजकुमार शुक्ल | बिहार के महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी
- राजकुमार शुक्ल भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय बिहार के चंपारण मुरली भराहावा ग्राम के निवासी और स्वतंत्रता सेनानी थे।
- दिसंबर 1916 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में बिहार के किसानों के प्रतिनिधि बनकर वह लखनऊ गए और चंपारण के किसानों की दुर्दशा को शीर्ष नेताओं के समक्ष रखा।
- चंपारण किसान आंदोलन देश की आजादी के संघर्ष का मजबूत प्रतीक बन गया था. और इस पूरे आंदोलन के पीछे एक पतला-दुबला किसान था, जिसकी जिद ने गांधी जी को चंपारण आने के लिए मजबूर कर दिया था. हालांकि राजकुमार शुक्ल को भारत के राजनीतिक इतिहास में वह जगह नहीं मिल सकी जो मिलनी चाहिए थी.
मौलाना मजहरुल हक़ | बिहार के महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी
- मुलाना मज़हरुल हक का जन्म 22 दिसम्बर 186 9 को पटना जिले के मानेर थाना के ब्रह्मपुर में हुआ था।
- 1912 में पटना में कांग्रेस का जो अधिवेशन हुआ था, उसकी स्वागत समिति के अध्यक्ष चुने गए। इस अवसर पर उन्होंने जो भाषण दिया था, वह देशप्रेम और आजादी की लगन की वजह से आज तक याद किया जाता है।
- 1916 के कांग्रेस-अधिवेशन में भाषण देते हुए उन्होंने कहा था – “समय गुजर गया। अब काम का समय है। आप भारत के लिए होमरूल या स्वशासन मांग रहे है। क्या आप समझते हैं कि यह चीज केवल मांगने से मिल जाएगी? हमें अपने शासकों को यह दिखाना होगा कि भारत का हर आदमी, हर स्त्री और हर बच्चा सेल्फ गवर्नमेंट हासिल करने के लिए किस तरह अटल है।“
- उन्होंने खिलाफत और असहयोग आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- पटना में सदाकत आश्रम की स्थापना उन्होंने 1920 में की थी।
- उन्होंने ‘मदरलैंड’ नामक समाचार पत्र प्रकाशित किया था।
- वे बिहार विद्यापीठ के संस्थापक कुलाधिपति रहे।
- गाँधीजी मौलाना मजहरुल हक को ‘देश भूषण’ कहकर संबोधित करते थे।
सहजानन्द सरस्वती | बिहार के महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी
- स्वामी सहजानन्द सरस्वती (22 फरवरी 1889 – 26 जून 1950) भारत के राष्ट्रवादी नेता एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। वे भारत में किसान आन्दोलन के जनक थे। वे आदि शंकराचार्य सम्प्रदाय के दसनामी संन्यासी अखाड़े के दण्डी संन्यासी थे। वे एक बुद्धिजीवी, लेखक, समाज-सुधारक, क्रान्तिकारी, इतिहासकार एवं किसान-नेता थे। उन्होने ‘हुंकार’ नामक एक पत्र भी प्रकाशित किया।
- उनका जन्म पटना जिलांतर्गत बिहटा नामक स्थान में हुआ था।
- उन्होंने 1929 ई. में किसान सभा की स्थापना की थी।
- 1936 ई. के लखनऊ अधिवेशन में वे अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष चुने गए थे।
श्रीकृष्ण सिंह | बिहार के महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी
- “बिहार केसरी” डॉ. श्रीकृष्ण सिंह (श्री बाबू) (1887–1961), भारत के अखंड बिहार राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री (1946–1961) थे।
- उनके सहयोगी डॉ. अनुग्रह नारायण सिंह उनके मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री व वित्तमंत्री के रुप में आजीवन साथ रहे।
- उनके मात्र 10 वर्षों के शासनकाल में बिहार में उद्योग, कृषि, शिक्षा, सिंचाई, स्वास्थ्य, कला व सामाजिक क्षेत्र में की उल्लेखनीय कार्य हुये। उनमें आजाद भारत की पहली रिफाइनरी- बरौनी ऑयल रिफाइनरी, आजाद भारत का पहला खाद कारखाना- सिन्दरी व बरौनी रासायनिक खाद कारखाना, एशिया का सबसे बड़ा इंजीनियरिंग कारखाना-भारी उद्योग निगम (एचईसी) हटिया, देश का सबसे बड़ा स्टील प्लांट-सेल बोकारो, बरौनी डेयरी, एशिया का सबसे बड़ा रेलवे यार्ड-गढ़हरा, आजादी के बाद गंगोत्री से गंगासागर के बीच प्रथम रेल सह सड़क पुल-राजेंद्र पुल, कोशी प्रोजेक्ट, पुसा व सबौर का एग्रीकल्चर कॉलेज, बिहार, भागलपुर, रांची विश्वविद्यालय इत्यादि जैसे अनगिनत उदाहरण हैं। उनके शासनकाल में संसद के द्वारा नियुक्त फोर्ड फाउंडेशन के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री श्री एपेल्लवी ने अपनी रिपोर्ट में बिहार को देश का सबसे बेहतर शासित राज्य माना था और बिहार को देश की दूसरी सबसे बेहतर अर्थव्यवस्था बताया था।
- अधिकांश लोग उन्हें सम्मान और श्रद्धा से “बिहार केसरी” और “श्रीबाबू” के नाम से संबोधित करते हैं।
खुदीराम बोस | बिहार के महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी
- इनका जन्म 1889 ई. में पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिलांतर्गत हबीबपुर नमक गाँव में हुआ था।
- वे युगांतर दल के सक्रिय सदस्य थे।
- खुदीराम बोस, प्रफुल्ल चाकी के साथ मिलकर 30 अप्रैल, 1908 को मुजफ्फरपुर के जज किंग्स्फोर्ड को बम से उड़ाने की योजना बनाई थी।
- खुदीराम बोस को 18 अगस्त, 1908 को मुजफ्फरपुर जेल में फांसी दे दी गई थी।
जयप्रकाश नारायण | बिहार के महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी
- इनका जन्म सारण जिलांतर्गत सिताब दियारा में 11 अक्टूबर, 1902 को हुआ था।
- 1933 ई. में उन्होंने कोंग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की गठन की थी।
- 1939 ई. में गिरफ्तार किये जाने के बाद हजारीबाग जेल से वे फरार हो गए थे।
- उन्हें लोकनायक के उपनाम से जाना जाता है।
Also refer :
- बिहार सामान्य ज्ञान
- बिहार में आदिवासी आन्दोलन
- Top 50 Science MCQs For Competitive Exams
- Top 50 Science Questions From Previous Year UPSC Prelims
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