झारखण्ड के प्रमुख राजवंश (Dynasty of Jharkhand)
झारखण्ड के प्रमुख राजवंश (Dynasty of Jharkhand) को हम मुख्यतः चार भागों में विभाजित कर सकते हैं:
- झारखण्ड का मुण्डा राज
- छोटानागपुर खास का नाग वंश
- पलामू का रक्सेल वंश
- सिंहभूम का सिंह वंश
झारखण्ड का मुण्डा राज
- झारखण्ड की जनजातियों में मुंडाओं ने ही सर्वप्रथम राज्य निर्माण की प्रक्रिया आरम्भ की।
- रिता मुण्डा/ ऋषा मुण्डा को ही सर्वप्रथम झारखण्ड में राज्य निर्माण की प्रक्रिया को शुरु करने का श्रेय जाता है।
- ऋषा मुण्डा ने सुतिया पाहन को मुंडाओं का शासक नियुक्त किया। सुतिया पाहन के ही नाम पर इस नवस्थापित राज्य का नाम सुतिया नागखण्ड पड़ा ।
- इस राज्य का अंतिम राजा मदरा मुण्डा था।
छोटानागपुर खास का नाग वंश
- मुण्डा राज के बाद नाग वंश की स्थापना फणि मुकुट राय द्वारा की गई ।
- फणि मुकुट राय को नाग वंश का आदि पुरुष भी कहा जाता है।
- फणि मुकुट राय ने अपनी राजधानी सुतियाम्बे को बनाया तथा वहाँ एक सूर्य मंदिर का निर्माण कराया।
- फणि मुकुट राय ने अपने राज्य में गैर-आदिवासियों को भी आश्रय दिया और आश्रय पाने वाले गैर-आदिवासियों में भवराय श्रीवास्तव को अपना दीवान बनाया।
- फणि मुकुट राय के बाद मुकुट राय, मदन राय तथा प्रताप राय शासक बने।
- प्रताप राय ने अपनी राजधानी सुतियाम्बे से चुटिया स्थानांतरित की।
- भीम कर्ण प्रथम प्रतापी शासक था जिसने राय के स्थान पर कर्ण की उपाधि धारण की।
- भीम कर्ण ने सरगुजा के रक्सेल राजा को बरवा की लड़ाई में पराजित किया । इस विजय के बाद रक्सेलों को लूटा जिसमें उसे वासुदेव की एक मूर्ति प्राप्त हुई।
- भीम कर्ण ने भीम सागर का निर्माण कराया तथा अपनी राजधानी चुटिया से खुखरा स्थानांतरित की ।
- शिवदास कर्ण ने गुमला के घाघरा में हापमुनि मंदिर की स्थापना की, जिसमें एक मराठा ब्राह्मण सियानाथ देव के हाथों भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करवायी।
- लोदी वंश के समकालीन नागवंशी राजा – प्रताप कर्ण, छत्र कर्ण एवं विराट कर्ण थे।
- नागवंश की प्रथम राजधानी सुतियाम्बे तथा अंतिम राजधानी रातूगढ़ थी।
पलामू का रक्सेल वंश
- रक्सेल स्वयं को राजपूत कहते थे।
- कोरवा, गोंड और खरवार रक्सेलों के समय की महत्वपूर्ण जनजातियाँ थी। इनमें खरवार सर्वाधिक संख्या में थे जिनके शासक प्रताप धवल थे।
- रक्सेलों को चेरों ने अपदस्थ किया।
सिंहभूम का सिंह वंश
- हो जनजाति के अनुसार सिंघ्भूम का नामकरण उनके कूल देवता सिंगबोंगा के नाम पर हुआ है।
- सिंह वंश के ग्रंथ ‘वंशप्रभा लेखन’ में सिंह वंश की दो शाखाओं का वर्णन मिलता है – पहली शाखा के संस्थापक काशीनाथ सिंह था जबकि दूसरी शाखा का संस्थापक दर्प नारायण सिंह था।
अन्य महत्वपूर्ण राजवंश
- दूधपानी शिलालेख तथा गोविंदपुर शिलालेख से मानभूम के मान वंश की जानकारी प्राप्त होती है। प्रसिद्ध भूमिज स्वराज्य आन्दोलन इसी राजवंश के शासनकाल में उभरा। मान राजाओं ने सबर जनजाति पर घोर अत्याचार किया था।
- रामगढ़ राज्य की स्थापना बाघदेव सिंह ने की थी । बाघदेव सिंह नागवंशी राजाओं के दरबार में थे तथा नागवंशी शासकों से मतभेद होने पर उन्होंने इस राज्य की स्थापना की थी। रामगढ़ राज्य की प्रथम राजधानी सिसिया थी तथा एंटी राजधानी पद्मा थी।
- पलामू का चेरो वंश की स्थापना 1572 ई. में भागवत राय ने रक्सेलों को पराजित कर की थी।
- ढाल वंश के शासनकाल में नरबलि प्रथा का प्रचलन था।
- पंचेत राज्य का राजचिह्न कपिला गाय का पूँछ या चंवर था । इसी कारण इस राज्य के राजाओं को गोमुखी राजा कहा गया।
Also refer :
- Download the pdf of Important MCQs From the History Of Ancient India
- List Of Important Inscriptions In India
- झारखण्ड सामान्य अध्ययन के लिए यहाँ क्लिक करें ।